शनिवार, अक्तूबर 26, 2013

इश्क़

ये उन दिनों की बात है जब हम भी किसी से इश्क़ किया करते थे, पर ये महसूस हुआ के वो हमसे कुछ ज्यादा ही प्यार करती थी। पर क्या करें जो सबके साथ कभी न कभी घट ही जाता है हमारे साथ भी घटा, हमें उससे अलग होना पड़ा, पर अपनी कलम को कैसे रोकते, जो आंशु बहाने को तैयार थी, क्या करते रोक ही नहीं पाए उसे और रोने दिया, छोड़ दिया उसे उसके हाल पर बस हम तो उसे चला ही रहे थे, पर लिख तो कोई और ही रहा था। पता नहीं क्या हुआ था उस दिन... ये जो कुछ भी लिख गया था आपके सामने है।



क लड़की दीवानी सी मुझसे प्यार वो इतना करती थी 

आवाज़ नही सुने वो अगर फिर रात रात भर जगती थी 

                                                                                    उसकी बेचैनी देख कर मेरा दिल भी मुझसे जलता था वो जीती थी तेरे ही लिए, तू क्यों न उसको समझा था 

यहाँ घुट घुट कर मर जाएगा, जा उससे जाकर तू मिल ले 

वो तो इतनी दीवानी है कि तेरे लिए ही ज़िंदा है 

हर पल तुझको ही याद करेतेरे बिना उसका न वक़्त कटे 
उसका जीवन इक शिक्षा है कर ले जाकर तू ग्रहण उसे
गर दिल उसका दुखायेगा                                                                                    मुंह के बल तू गिर जाएगा                                                                   
                                               उसके आंशुओं के गिरने से तू क़र्ज़दार हो जाएगा 
इक दिन तू बहुत पछतायेगा और एक दिन ऐसा आयेगा तू घुट घुट कर मर जाएगा 

जा तू मिल ले उस देवी से जो याद में तेरी जीती है 

कुछ भी न उसको भाता है तू ही उसका विधाता है 

इक लड़की दीवानी सी मुझसे प्यार वो इतना करती थी 
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के मेरे लिए जीती है और मेरे लिए ही जिंदा है 
इक लड़की दीवानी सी 
मुझसे प्यार वो इतना करती है प्यार वो इतना करती है!!!!!!!!!!!

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