त्राहि मची है चारों ओर
अब संत बन गए सारे चोर
बड़े बड़े खोलें हैं संघ
जिनमे धन का न कोई छोर
कहते हैं हम संरक्षण देंगे उन असहाय लोगों को
जो हैं भूखे, जो हैं रोते खुद को ऐसा देखकर
त्राहि मची है चारों ओर
अब संत बन गए सारे चोर
बड़े बड़े हैं दान ये लेते
बड़े बड़े घोटाले करते
काले दो नंबर के धन को
पलभर में सफ़ेद ये कर डालें
त्राहि मची है चारों ओर
अब संत बन गए सारे चोर
कहीं भी जाएँ वहीँ कमाएं
जनता को देते धोखा
लेते सत्संग का भी पैसा
माने खुद को ईश्वर जैसा
त्राहि मची है चारों ओर
अब संत बन गए सारे चोर
बेहिसाब हैं धन दौलत
और बेहिसाब हैं घर बंगले
बड़ी बड़ी गाडी में घूमें
खुद को माने सिद्ध बन्दे
त्राहि मची है चारों ओर
अब संत बन गए सारे चोर
बनते हैं ये धर्म कि मूरत
देखें न अपनी सूरत
सारे कुकर्म हैं इनके खाते
अपने बच्चो को भी बांटें
जो माने इनको धर्मात्मा
वो मूरख जग में है आत्मा
त्राहि मची है चारों ओर
अब संत बन गए सारे चोर
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