शनिवार, अक्तूबर 26, 2013

ख़ुदा तू है अगर कहीं






शरारत दिल में होती है 
तड़पना हम को पड़ता है! 

अश्क़ आँखों में होते हैं 
सिसकना हम को पड़ता है! 

करें क्या ये बता हमें 
तू एक बार तो खुदा! 

तेरी रहमत न हो अगर 
क्यों मरना हम को पड़ता है?

हमीं ने प्यार है किया 
फिर हमें ही दर्द क्यों दिया?

जिसे न प्यार है हुआ 
वो ही तो खुश है जी रहा! 

ये तेरी कैसी मार है 
मुझी पे करती वार है! 

मेरे इस शीशे के दिल को 
तुझी ने टुकड़े है किया!

कभी तो प्रेम को तूने 
हमीं को भीग में दिया! 

कभी जब रूठ तू गया 
हमीं को लूट भी लिया! 

अगर तू है यहाँ कहीं 
मेरी फ़रियाद सुन ज़रा! 

तेरे क़दमों में बैठा हूँ 
मुझे तू दान दे ज़रा! 

तू मेरे यार को मुझसे 
कहीं पे फिर से दे मिल!

नहीं तो टूटे इस दिल को 
तू थोड़ी आस दे ज़रा! 

शरारत दिल में होती है 
तड़पना हम को पड़ता है! 

आँखों में "आशू" की आंसू 
तड़पना उसको पड़ता है!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें