मंगलवार, अक्तूबर 29, 2013

मैं छोड़ आया पीछे वो सारी कहानी

मैं छोड़ आया पीछे वो सारी कहानी 
जिससे जुडी थी मेरी ये जिंदगानी 

अभी तक जुडी थी ये साँसे भी उससे 
मगर अब ये गाडी है खुद ही चलानी 

कहते हैं होती मुहब्बत सभी को 
वही पार पाती जो होती रूहानी 

समझे थे हम उनको नादान यारों 
वो निकली यहाँ पर है सबसे सयानी 

पहले तो हमको बतानी नहीं थी 
लो अब ये कहानी सुनो मेरी ही जुबानी 

हम सोचते थे मुहब्बत मिली है 
पर खुदा को भी थी हमसे नफरत निभानी 

अब तक न सीखे थे इक भी सबक हम 
एक बार में ही इनकी दौलत कमाली 

कर तो दिया है खुद से अलग अब 
"आशु" कि ले लो तुम भी सलामी

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