मैं छोड़ आया पीछे वो सारी कहानी
जिससे जुडी थी मेरी ये जिंदगानी
अभी तक जुडी थी ये साँसे भी उससे
मगर अब ये गाडी है खुद ही चलानी
कहते हैं होती मुहब्बत सभी को
वही पार पाती जो होती रूहानी
समझे थे हम उनको नादान यारों
वो निकली यहाँ पर है सबसे सयानी
पहले तो हमको बतानी नहीं थी
लो अब ये कहानी सुनो मेरी ही जुबानी
हम सोचते थे मुहब्बत मिली है
पर खुदा को भी थी हमसे नफरत निभानी
अब तक न सीखे थे इक भी सबक हम
एक बार में ही इनकी दौलत कमाली
कर तो दिया है खुद से अलग अब
"आशु" कि ले लो तुम भी सलामी
kya baat hai...
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