जितने भी ग़म सहते रहे, कलम से सब बहते रहे
करके बहाना बज़्म का, हिज्रा-ए- ग़म सहते रहे
दर्द क्या है हमने जाना दूर होकर ऐ ख़ुदा
अपने ही आशियाँ में, हम सलीब पर लटके रहे
हो गया तब्दील मैं इस दर्द से उस दर्द में
बेकाबू होकर अश्क़ भी आँखों से फिर गिरते रहे
जिसका लिखा ग़ज़लों में वो नाम बस तेरा ही है
बस ये तुझे बताने को हम कलम घिसते रहे
रात दिन जो था मुझे वो इंतज़ार है तेरा
राह पर आँखें बिछी, सारे दिए बुझते रहे
अब न मुझे है चैन ही और ही है करार
बस तेरा ही तलाश में हम दर बदर फिरते रहे
ज़िंदा लाश बन गया "आशु" उसे ये क्या हुआ
अब चले जहां भी वो, वहीँ निशां पड़ते रहे!!!
करके बहाना बज़्म का, हिज्रा-ए- ग़म सहते रहे
दर्द क्या है हमने जाना दूर होकर ऐ ख़ुदा
अपने ही आशियाँ में, हम सलीब पर लटके रहे
हो गया तब्दील मैं इस दर्द से उस दर्द में
बेकाबू होकर अश्क़ भी आँखों से फिर गिरते रहे
जिसका लिखा ग़ज़लों में वो नाम बस तेरा ही है
बस ये तुझे बताने को हम कलम घिसते रहे
रात दिन जो था मुझे वो इंतज़ार है तेरा
राह पर आँखें बिछी, सारे दिए बुझते रहे
अब न मुझे है चैन ही और ही है करार
बस तेरा ही तलाश में हम दर बदर फिरते रहे
ज़िंदा लाश बन गया "आशु" उसे ये क्या हुआ
अब चले जहां भी वो, वहीँ निशां पड़ते रहे!!!
yaar ashwani ye to mera kissa lagtaa hai. kya baat hai yaar ek din bade shayar banoge. keep it up.
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