जीवन को अपने यूँ ही ज़ाया कभी न कर
जो राख कर दे तुझको उस आग में न जल।।
गर आया है धरती पे तो तू काम ऐसा कर
याद आए तेरी सबको तू यार ऐसा बन।।
वो फासले मिटा दे जो हैं यूँ दरम्यान।।
तेरी कलम से रिसके गर आ सका जूनून
तो बदलेगा ज़माना कभी न कभी जरुर।।
जीवन को अपने यूँ ही ज़ाया कभी न कर
जो राख कर दे तुझको उस आग में न जल।।
उस रास्ते को चुन जो जाता है बदी को
उसपे कभी न तू चल जाए पाप की तरफ।।
तू ही यहाँ तूफ़ान है तू ही यहाँ फ़ौलाद है
तू रवि की रोशनी तू चाँद की है चांदनी।।
जीवन को अपने यूँ ही ज़ाया कभी न कर
जो राख कर दे तुझको उस आग में न जल।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें