शनिवार, नवंबर 30, 2013

उस आग में न जल

जीवन को अपने यूँ ही ज़ाया कभी न कर 
जो राख कर दे तुझको उस आग में न जल।।

गर आया है धरती पे तो तू काम ऐसा कर 
याद आए तेरी सबको तू यार ऐसा बन।।

वो फासले मिटा दे जो हैं यूँ दरम्यान।।

तेरी कलम से रिसके गर आ सका जूनून
तो बदलेगा ज़माना कभी न कभी जरुर।।

जीवन को अपने यूँ ही ज़ाया कभी न कर 
जो राख कर दे तुझको उस आग में न जल।।

उस रास्ते को चुन जो जाता है बदी को 
उसपे कभी न तू चल जाए पाप की तरफ।।

तू ही यहाँ तूफ़ान है तू ही यहाँ फ़ौलाद है 
तू रवि की रोशनी तू चाँद की है चांदनी।।

जीवन को अपने यूँ ही ज़ाया कभी न कर 
जो राख कर दे तुझको उस आग में न जल।।

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