सोमवार, दिसंबर 09, 2013

ये अंदाज-ए-जिंदगी...


ये अंदाज-ए-जिंदगी है 
सुख दुःख की बंदगी है।

जो थी कभी मोहब्बत 
आज वो ही रंजगी है।

हम भी मुशायरों की रौनक़ हुआ करते थे
अब न हैं हम कहीं भी बस बाकी बानगी है।।

ये अंदाज-ए-जिंदगी है 
सुख दुःख की बंदगी है।

जो थी कभी मोहब्बत 
आज वो ही रंजगी है।

चाहते थे हम बदलना अपने मुखारबिन को 
है दिख रहा बदलाव अब, क्या ये ही सादग़ी है।।

ये अंदाज-ए-जिंदगी है 
सुख दुःख की बंदगी है।

जो थी कभी मोहब्बत 
आज वो ही रंजगी है।

इक दिन था वो भी जब हम खुद में जिया करते थे 
इक दिन है ये भी जिसमें साँसों की कमजगी है।।

ये अंदाज-ए-जिंदगी है 
सुख दुःख की बंदगी है।

जो थी कभी मोहब्बत 
आज वो ही रंजगी है।

लिख तो रहे हैं ग़ालिब तेरी हम अंजुमन में 
गहराई आये कैसे, ये तेरी ही कमी है।।

ये अंदाज-ए-जिंदगी है 
सुख दुःख की बंदगी है।

जो थी कभी मोहब्बत 
आज वो ही रंजगी है।

है 'आशू' ओ माझी अब दरिया के इस किनारे 
गर पार हो गया तो ख़ुदा की रहमगी है।।

ये अंदाज-ए-जिंदगी है 
सुख दुःख की बंदगी है।

जो थी कभी मोहब्बत 
आज वो ही रंजगी है।  

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