के अक्सर सोचते है हम, मोहब्बत इक खजाना
है.
खजाना जब था मोहब्बत, जमाना वो पुराना है.
बदल रही है चाहतें, बदल रही है मोहब्बत.
आज हर कोई दुनिया में, खुद में ही सयाना
है.
जिसे गाते थे याद करके, सुकून मिलता था
हमें.
सीने पर लोबान रखकर भुलाया वो तराना है.
वो माँ जो रूठ जाती थी, मेरी शैतानियों
आगे.
नहीं रही है संग मेरे, मगर उसे मनाना है.
चले बाज़ार की तरफ, किस्मत खरीदने को हम.
नहीं बिकती है ये किस्मत, खुदी को ये
बताना है.
ज़माने से छिपा लिया था सारा ग़म, मुझे मिला.
ज़माने से नहीं तुझे ये अपने आप से छिपाना
है.
“आशू” सता लिया बहुत, कितनों को अब
सताएगा.
मेरी किस्मत कहे मुझसे मुझे, तुझे सताना है.
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