तेरे हिज्र में हमने जीकर देखा
खून बने आंसूओं को पीकर देखा
कतरने जो बन गए ख़्वाब ये मेरे
तुझे याद कर कर उन्हें सींकर देखा
कहते हैं ये वक़्त भर देता है हर इक ज़ख्म
मेरे ज़ख्मों को तो वक़्त ने भी कुरेदकर देखा
अंतराल एक ऐसा ब्लॉग है, जहां आप सभी मेरी लिखी कुछ ग़ज़लें पढ़ पायेंगे। बस एक कोशिश की है लिखने की, क्योंकि न तो मैं लिखना जानता हूँ। और न ही मैंने कहीं से सीखा है। पर जितना भी पढ़ा उसी के आधार पर कुछ लिख पाने में सक्षम हुआ हूँ। अब आप सब की प्रतिक्रियाएं चाहता हूँ।
chhoti hai par asardaar hai, badhiyaa.
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