है फ़क़त तेरी ही चाहत है तेरा ही इंतज़ार
तू करेगी जाने कब मुझपे थोडा ऐतबार।।
मैंने तो तुझपे ही वारा अपना दिल अपना जहाँ
कब करेगी जाने तू मुझपे अपना दिलनिसार।।
करता हूँ हरसू मैं कोशिश तुझसे मिलने कि ही बस
आके कहदे मुझसे तू कि हूँ मैं तेरी एकबार।।
मिला भी तब उससे था जब हो रही थी वो विदा
इक झलक देखा भी तब जब मैं बना उसका कहार।।
वो देखते ही देखते थी हो गयी 'आशू' जुदा
न हुआ इकरार भी इस बात का था बस मलाल।।
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