शुक्रवार, नवंबर 15, 2013

तेरी ही चाहत







है फ़क़त तेरी ही चाहत है तेरा ही इंतज़ार 
तू करेगी जाने कब मुझपे थोडा ऐतबार।।

मैंने तो तुझपे ही वारा अपना दिल अपना जहाँ 
कब करेगी जाने तू मुझपे अपना दिलनिसार।।

करता हूँ हरसू मैं कोशिश तुझसे मिलने कि ही बस 
आके कहदे मुझसे तू कि हूँ मैं तेरी एकबार।।

मिला भी तब उससे था जब हो रही थी वो विदा 
इक झलक देखा भी तब जब मैं बना उसका कहार।।

वो देखते ही देखते थी हो गयी 'आशू' जुदा 
        न हुआ इकरार भी इस बात का था बस मलाल।।      

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