मंगलवार, नवंबर 05, 2013

वो रात आखरी...


वो रात आख़री वो मुलाक़ात ओ-सनम
है याद मुझे हर वो तेरी बात ओ-सनम।।

जो-जो भी तूने मुझको हैं इलज़ाम दे दिए 
आँख बंद सहली तेरी करामात ओ-सनम।।

आया था जो तूफ़ान मुझे याद अब भी है 
बिन छत सही है मैंने वो बरसात ओ-सनम।।

बदली है जिन्दगी मेरी बस एक ही पल में 
खुद ही तो मारी खुशियों को है लात ओ-सनम।।

इस दर्द के सैलाब में कैसे जिया हूँ मैं
न देखा तूने मुड़के इक बार ओ-सनम।।

छाई है काली घटा "आशू" के जीवन में 
अब तो खुदा भी न सुने मेरी फ़रियाद ओ-सनम।।

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