शनिवार, नवंबर 30, 2013

शरारत दिल में

शरारत दिल में होती है 
तड़पना हम को पड़ता है

आंसू आँखों में होते हैं 
सिसकना हम को पड़ता है 

करें क्या ये बता हमें 
तू एक बार तो ख़ुदा 

तेरी रेहमत न हो अगर 
यूँ मरना हम को पड़ता है

हमीं ने प्यार है किया 
हमीं को दर्द है दिया 

जिसे न प्यार है हुआ 
वो ही तो खुश हैं जी रहा 

ये तेरी कैसी मार है 
मुझी पे करती वार है

मेरे इस शीशे के दिल को 
तुझी ने टुकड़े है किया 

कभी तो प्रेम को तूने 
हमीं को भीख में दिया 

कभी जब रूठ तू गया 
हमीं को लूट भी लिया 

अगर तू है कहीं यहाँ 
मेरी फरियाद सुन ज़रा 

तेरे कदमों में बैठा हूँ 
मुझे तू दान दे ज़रा  

तू मेरे यार को मुझसे
कहीं पे फिर से दे मिला    

नहीं तो मेरे इस दिल को 
थोड़ी सी आस दे ज़रा 

शरारत दिल में होती है 
तड़पना हम को पड़ता है

आंसू आँखों में होते हैं 
सिसकना हम को पड़ता है 

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