किस्मत में मेरी प्यार शायद था नहीं
खुद पे ऐतबार शायद था नहीं।।
क्यूँ मैं रात रात भर, ऐसे ही रोता हूँ
जीने का सुरूर शायद था नहीं।।
याद कर तू वो बज़्म वो तन्हाइयाँ
तुझको याद मेरे यार शायद था नहीं।।
मैं हूँ एक राही तू मंज़िल मेरी
मंज़िल पे खुमार शायद था नहीं।।
साक़ी से कहता हूँ अब पीना नहीं
उसको भी मुझपे प्यार शायद था नहीं।।
बेवफ़ा तेरी वफ़ा कहाँ गई
मैं ही वफ़ा काबिल शायद था नहीं।।
दुखों ने दामन है जकड़ा हुआ
सुख मेरा सरकार शायद था नहीं।।
आज 'आशू' ही यहाँ तड़पे नहीं
प्यार में वो खुमार शायद था नहीं।।
प्यार में वो खुमार शायद था नहीं।।
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